तुम हो सहाय असहयों की तुम दिनों की दुख हरनी हो हो तुम ही जन्मदाता जग की तुम जग की पालन करनी हो
अमर शहीद सुकवि स्वर्गीय भोलानाथ शेखर जयंती समारोह
जन्मदिवस
13 अक्टूबर 1912
निर्वाण दिवस
13 अक्टूबर 1965
तलवार चली कविता संग्रह के रचयिता ओज और तेज के धनी स्नेही मंडल के प्रमुख कविवर भोलानाथ शेखर जी की 112 वीं जयंती लखीमपुर खीरी में स्थित उनके निज निवास मोहल्ला नई बस्ती में बहुत ही सादगी पूर्वक परिवार के सभी बड़े व छोटे सदस्यों के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनकी पुस्तक तलवार चली से कविता शीर्षक के अंतर्गत सभी सदस्यों ने पाठ किया।
उनके बड़े पुत्र रामगोपाल जी ने शेखर जी की भारतीय नारी कविता से कुछ पंक्तियां प्रस्तुत की
तुम हो सहाय असहयों की तुम दिनों की दुख हरनी हो हो तुम ही जन्मदाता जग की तुम जग की पालन करनी हो
वहीं छोटे पुत्र विष्णु गोपाल शेखर जी के द्वारा
खप्पर त्रिशूल वाली बनकर चांदके मुंड माली बनाकर तुम कूद पड़ो सीमाओं पर काली बन कंकाली बनकर
उनकी पुत्री श्रीमती मंगला टंडन जी के द्वारा होली पर रचित कविता के कुछ अंश प्रस्तुत किए गए
त्याग अभियान मान अपमान शत्रु कर रहा शत्रु से प्यार अजब है होली का त्यौहार
वहीं कविवर भोलानाथ जी शेखर के पोत्र रजत शेखर ने
कविता और कवि शीर्षक कविता कवि का दम भरती है वीणावादिनी द्वार कवि का, निशि वॉशर झांका करती है, कविता कवि का दमभरती है
पौत्र युवराज शेखर के द्वारा पिता और पुत्री के बीच की बहुत ही मार्मिक पंक्तियां प्रस्तुत की गई
सच बात पूछती हूं
बताओ ना बाबूजी
छुपाओ ना बाबूजी
की याद मेरी आती नहीं ।
साथ ही साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए उनके पत्र गौरव, रतन ,रमन शेखर व परिवार की बहुएं रिचा, खुशबू ,रचना, रूपाली, रति, दिव्या शेखर ने भी इस अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। अमर शहीद कवि कविवर भोलानाथ जी शेखर के परपोते सृजन व सार्थक के साथ परपोती राध्या, शानवी एवं रिद्धिमा शेखर ने भी बहुत सुंदर प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर कविवर भोलानाथ जी शेखर के पोते एडवोकेट रजत शेखर ने बताया कि आज से ठीक 59 वर्ष पूर्व करवा चौथ के दिन कि वह घड़ी जब उनकी पत्नी शांति देवी शेखर जो की दिन भर उपवास रखे हुए व्रत तोड़ने के लिए शेखर जी का इंतजार कर ही रही थी की तभी एक बेहद ही दुखद समाचार प्राप्त हुआ की शेखर जी हम सबके बीच मैं नहीं रहे। दिनांक 13 अक्टूबर 1965 को नगर पालिका परिषद के द्वारा दशहरे मेले की रामलीला के मंच पर आयोजित होने वाले ऐतिहासिक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में संपूर्ण राष्ट्र से पधारे श्रेष्ठ कवियों के द्वारा काव्य पाठ किया जा रहा था तभी ऐतिहासिक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे राष्ट्रकवि डॉक्टर विजेंद्र अवस्थी जी के द्वारा मां शारदे के ओज और तेज के धनी स्नेही मंडल के कविवर भोलानाथ जी शेखर का बहुत ही ओजस्वी एवं वीर रस से परिपूर्ण काव्य रचना का पाठ हुआ जिसे सुनकर संपूर्ण जनमानस वह मंच पर विराजमान श्रेष्ठ कवियों की श्रृंखला वाह-वाह करती रही इस पर कवि भोलानाथ जी शेखर ने संचालन कर रहे राष्ट्र कवि डॉक्टर विजेंद्र अवस्थी जी से अपने द्वारा रचित काव्य पाठ के कुछ अंश अपने पोते के मुखार बिंदु से सुनने की अनुमति मांगते हुए जब तोतली भाषा में उनके पोते द्वारा काव्य पाठ
नन्हा मुन्ना राही हूं
देश का सिपाही हूं
बड़ा बलिदाई हूं.......
पूरी कविता को सुनने के पश्चात मंच का संचालन कर रहे राष्ट्रकवि डॉक्टर विजेंद्र अवस्थी जी के कंधे पर ही शेखर जी ने अपने शीश झुकाते हुए प्राणों को त्याग दिया ।मां शारदे के इस सच्चे सपूत को नमन करते हुए लखीमपुर खीरी नगर पालिका परिषद के द्वारा रामलीला के मंच पर दशहरे मेले में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन कविवर भोलेनाथ जी शेखर की स्मृति में ही होता चला रहा है। इस दुखद घटना से स केवल शेखर जी का प्रभारी नहीं संपूर्ण जनमानस शोक में डूब गया था तथा उस समय के तत्कालीन विधायक माननीय कमाल अहमद रिजवी जी ने तुरंत ही शेष आयोजन को रुकवा कर शेखर जी को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
शेखर परिवार के मुखिया रामगोपाल जी शेखर बताते हैं कि दिनांक 13 अक्टूबर का यह अविस्मरणीय दिन जीवन पर्यंत याद रहेगा हमारे पास आज जो कुछ भी है वह सब हमारे पिता माता की तपस्या और साधना का फल है।
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