लखनऊ में ट्रैफिक पुलिस के कुछ सिपाही और अधिकारी आए दिन वसूली में लिप्त-सूत्र
ट्रैफिक पुलिस कर्मियों द्वारा जगह-जगह पर लोगों को रोकना और वसूली करना मानो आम बात हो गई है उच्च अधिकारी लगातार इस संदर्भ में आदेश जारी करते हैं परंतु सरकार द्वारा दी गई उच्च ट्रेनिंग का नाजायज फायदा कतिपय ट्रैफिक पुलिस कर्मी उठा रहे हैं।
जैसे ट्रेनिंग के दौरान उनको सिखाया जाता है कि कौन व्यक्ति सही है कौन व्यक्ति संदिग्ध है, बस फिर क्या है अपनी ड्यूटी के दौरान वह समझ जाते हैं कि संबंधित व्यक्ति के पास कागज नहीं है और अगर है तो उसे डराया धमकाकर पैसे वसूले जा सकते हैं और वह यही करते हैं अर्थात सरकार द्वारा दी गई उच्च स्तरीय ट्रेनिंग का नाजायज फायदा यह लोग अपने स्वार्थ की खातिर उठाते हैं और न सिर्फ सरकार को नीचे दिखाने का कोई प्रयास नहीं छोड़ते बल्कि अपने उच्च अधिकारियों द्वारा दिए गए समय-समय पर आदेश को कोई अहमियत नहीं देते हैं ।
ऐसे में अपना लखनऊ भी अछूता नहीं है कोई ना कोई वाद विवाद यहां के कुछ ट्रैफिक कर्मी रुपयो की वसूली को लेकर करते रहते हैं, जबकि सरकार द्वारा इतनी सुविधा दी गई है और अच्छी भली तनख्वाह के होते हुए भी इनको ऊपर की कमाई खाने की आदत हो गई है।
सूत्रों के अनुसार कुछ ट्रैफिक कर्मी अपने अधीनस्थ अथवा अपने जान पहचान के व्यक्तियों के द्वारा पत्रकारों को धमकाते नजर आए हैं जिसमें उनको यह कहा जाता है कि अगर तुम नहीं सुधरोगे तो तुमको देख लिया जाएगा।
सत्य ही है कि सरकारी नौकरी पाने के बाद उसका दुरुपयोग अब आम बात हो गई है ऐसे व्यक्तियों की संपत्तियों की आवश्यक जांच की जानी चाहिए जिससे कि पता चले कि इन्होंने अपनी तनख्वाह के अलावा अलग से बेनाम संपत्ति कितनी अर्जित की है ताकि ऐसी घटनाओं पर रोक लगा सके और जैसा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री चाहते हैं वैसा होकर भारत भ्रष्टाचार मुक्त बना सके
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